Coaching Centre Delhi-राजनीतिक दोषारोपण की भेंट चढ़ती होनहार युवाओं की मौत

राजनीतिक दोषारोपण की भेंट चढ़ती होनहार युवाओं की मौत


भारतीय प्रशासनिक सेवा में चुन कर आईएएस ,आईपीएस बनकर देश को चलाने वाले सिस्टम का अंग बनने का सपना संजोकर अपने घर परिवार शहर से सैकड़ों हजारों किलोमीटर दूर कोचिंग करने आए तीन युवाओं को कोचिंग संस्थानों की अधिकाधिक कमाई करने और प्रशासन की घातक लापरवाही के कारण असमय अपनी जान गंवानी पड़ी। इस हादसे से समूचे देश में विशेष कर छात्रों में आक्रोश और नाराजगी है, क्योंकि यह हादसा बहुत ह्रदय विदारक व तीन परिवारों को उनके चिरागों को बुझा कर जीवन भर के लिए ऐसे दुख में धकेलने वाला है जिसकी कोई भरपाई नहीं हो सकती है।शर्मसार करने वाली बात है कि राजधानी दिल्ली के बीचोंबीच जहां कानून व्यवस्था की गारंटी मानी जाती है वहीं इतनी लापरवाही कि कभी अग्निकांड में, कभी करंट से, कभी सीवर के खुले ढक्कन से गिरने से तो अब बेसमेंट में अचानक पानी भर जाने से देश के होनहार युवाओं को जान गंवानी पड़ती है।3 students die in flooded basement of coaching centre

बेशक हम विकास के बड़े बड़े दावे करें, विदेशी राजनेताओं को दिखाने के लिए हजारों करोड़ रुपये खर्च कर फर्जी सजावट और दिखावा करें लेकिन हकीकत में भ्रष्टाचार से लबरेज़ सरकारी मशीनरी और लालची कार्पोरेट और बंदरबांट कर रहे राजनीतिक दबंगों के बीच तिरोहित जीवन जीने के लिए मजबूर हैं। राजेंद्र नगर के कोचिंग संस्थान का हादसा भी इसी का एक उदाहरण है। विगत 27 जुलाई शनिवार की शाम दिल्ली के राजेंद्र नगर के एक कोचिंग सेंटर में लाइब्रेरी में अचानक भारी मात्रा में पानी भर जाने से तीन छात्रों की दर्दनाक मौत हो गई। मरने वालों में 2 छात्राएं और एक छात्र शामिल है। मृतक छात्रा श्रेया यादव यूपी के अंबेडकरनगर जिले की रहने वाली थी, वहीं तान्या सोनी तेलंगाना की रहने वाली थी। मृतक छात्र की पहचान केरल के एर्नाकुलम निवासी नवीन दल्विन के रुप में हुई है। इस हादसे के बाद एक तरफ जहां राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है, तो दूसरी तरफ दोषारोपण का खेल भी। कुछ राजनेता कोचिंग संस्थान को दोषी ठहरा रहे हैं, तो कुछ दिल्ली सरकार को दोषी मान रहे हैं।

हकीकत यह है कि अधिक कमाई के लालच में कोचिंग संस्थान के संचालक बहुत तंग जगहों पर बड़ी संख्या में बच्चों को एडमिशन देकर कोचिंग सेंटर चलाते हैं उनमे से अधिकांश के पास फायर व दूसरे सरकारी विभागों की एनओसी तक नहीं होती है । हादसे वाले कोचिंग सेंटर में भी बेसमेंट में लाइब्रेरी और क्लास चलाकर सैकड़ों छात्रों के जीवन से खिलवाड़ की जा रही थी।गौरतलब है कि हर साल हजारों की संख्या में देश भर से छात्र बेहतर एक्सपर्ट्स से गाइडेंस व कोचिंग लेकर देश की तमाम सरकारी परीक्षाओं की तैयारी के लिए आते हैं । ऐसे में सेलेक्शन और बेहतर भविष्य का सपना आंखों में संजोए छात्र बड़े ही उत्साह से प्रतियोगी परीक्षाओं की प्रतिष्ठित और बड़े नाम धारी कोचिंग संस्थाओं में एडमिशन भी लेते हैं। इन कोचिंग संस्थानों में एडमिशन के लिए छात्रों से लाखों रुपए फीस ली जाती है। उन्हें बेहतर पढ़ाई का माहौल, सुविधाओं व सलेक्शन का भरोसा दिया जाता है, तगड़ी फीस लेने के बाद भी ये संस्थान मूलभूत सुरक्षा संबंधी नियमों का भी पालन नहीं करते हैं। मौजूदा हादसा कोई पहला मामला नहीं है, इसके पहले भी इस तरह की घटनाएं सामने आई हैं।

पिछले दिनों 14 अप्रैल को कोटा के एक कोचिंग सेंटर में एक हादसा हुआ जिसमें आठ छात्र आग में झुलस गए । इसी घटना में एक छात्र चौथी मंजिल से कूद कर जान गंवा बैठा। वहीं 24 मई को गुजरात के तक्षशिला अपार्टमेंट में चल रहे एक कोचिंग सेंटर में आग की घटना में 23 छात्रों की मौत हो गई थी। राजेंद्र नगर के कोचिंग इंस्टीट्यूट में अचानक पानी घुसने का मामला हो या फिर मुखर्जी नगर की कोचिंग में आग लगने का, आए दिन भारी लापरवाही सामने आती है? सवाल है कि बेसमेंट में लाइब्रेरी क्यों बनायी गयी थी और यदि बनी भी थी, तो आपातकाल में निकलने के लिए रास्ता क्यों नहीं बनाया गया था। जब भी कोई दुर्घटना घटित होती है तो उसकी कीमत बच्चों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ती है लेकिन कोचिंग संचालकों ,प्रशासन और सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ता है। इस बात पर भी आश्चर्य हो रहा है कि नियम तो कहता है कि किसी भी व्यावसायिक केंद्र के लिए फायर की क्लीयरेंस जरूरी है। क्या फायर विभाग के अधिकारियों ने कभी इस इंस्टीट्यूट के भीतर कदम नहीं रखा था। इस हादसे को लेकर दिल्ली सरकार पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।

आरोप लगाए जा रहे हैं कि नालों की सफाई नहीं होने के कारण यह हादसा हुआ, क्योंकि एक नाला टूट गया था। वैसे भी दिल्ली में 10 मिनट की तेज बारिश में सड़कों पर पानी भर जाता है। दिल्ली के कई इलाकों में हर साल पानी भरने की घटनाएं सामने आती रही हैं। जिस क्षेत्र में ये कोचिंग सेंटर है, वहां भी ऐसी शिकायतें आती रही है। फिर भी कोई उपाय क्यों नहीं किया गया। यहां पढ़ने वाले छात्रों और ओल्ड राजेंद्र नगर के निवासियों का कहना है कि यहां तो हर साल बारिश में सड़क पर घुटनों तक पानी भर जाता है। ऐसे में ही बच्चों को कोचिंग जाना पड़ता है। नियमानुसार बेसमेंट में कोचिंग चल ही नहीं सकती, इसके बाद भी यहां सैकड़ों लाइब्रेरी और कोचिंग बेसमेंट में संचालित हो रहे हैं। आज पानी भरने की घटना से छात्रों की मौत हुई, कल आग या करंट से भी हादसा नहीं हो सकता है इसकी क्या गारंटी है? इसलिए जरूरत है कि इस हादसे से सबक लिया जाए और देश के सभी शहरों में तमाम कोचिंग संस्थान के भवनों की भौतिक मजबूती की पड़ताल, वहां मूलभूत सुविधाएं, पेयजल, टायलेट ,स्वच्छ हवा के साथ आवागमन के लिए पर्याप्त रास्ता, आकस्मिक आपदा पर निकासी की व्यवस्था ,बिजली, आग, करंट से बचाव के लिए सभी उपाय किए गए हैं या नहीं इन सबकी बाकायदा एनओसी अनिवार्य होनी चाहिए ताकि अपने सपनों को पूरा करने के लिए कोचिंग संस्थान आने वाले महत्वाकांक्षी प्रतिभाशाली युवाओं को किसी हादसे का शिकार न बनना पड़े। आमतौर पर राजनीतिक दल परस्पर दूसरे सत्ताधारी दल के खिलाफ प्रदर्शन कर अपने दायित्व की पूर्ति करने का नाटक करते हैं लेकिन यह समस्या का स्थाई समाधान नहीं है। सभी राज्यों को अपने जिला प्रशासन को एडवाइजरी जारी कर तमाम कोचिंग संस्थानों, इंजीनियरिंग व मेडिकल कालिजों के क्लास रूम व हास्टल की भी दुर्घटना की दृष्टि से पड़ताल कराने का निर्देश देना चाहिए। इन सबमें सबसे जरुरी बात यह भी है कि यदि हम और आप अपने बच्चों को देश में कहीं भी किसी भी कोचिंग या शैक्षणिक संस्थान में भेजते हैं तो हमें खुद इन व्यवस्थाओं पर कड़ी नजर रखनी पड़ेगी,कमियां होने पर खुद शिकायत करना होगी और आवश्यकता पड़ने पर ऐसे संस्थान जहां सुरक्षा संबंधी लापरवाहियां हों वहां से तत्काल अपने बच्चों को बाहर निकालना पड़ेगा क्योंकि प्रशासन और कोचिंग संचालक भी तभी सुधरेंगे जब उनकी दुकानें बंद होने लगेंगी।((मनोज कुमार अग्रवाल -विभूति फीचर्स))

Related Articles
Next Story
Share it