NEET NEWS-एन टी ए के पास अपना इंफ्रास्ट्रक्चर व मैनेजमेंट भी नहीं है, उसे ऐसी प्रतिष्ठित परिक्षाओं की जिम्मेवारी दिया जाना कितना उचित है------

नीट(NEET)और नेट‌(UGC-NET),एन-सी ए टी (N-CAT) तथा सी एस आई आर(UGC-NET) जैसी परीक्षाओं के प्रश्नपत्रों का लीक होना, रद्द व स्थगित होना न केवल युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ है बल्कि देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है।


लेखक -सतीश मेहरा, पूर्व उपनिदेशक (प्रेस)



देश में नीट(NEET)और नेट‌(UGC-NET),एन-सी ए टी (N-CAT) तथा सी एस आई आर(UGC-NET) जैसी परीक्षाओं के प्रश्नपत्रों का लीक होना, रद्द व स्थगित होना न केवल युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ है बल्कि देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। एन ट़ी ए (नेशनल परीक्षण एजेंसी) जो इन परीक्षाओं को कंडक्ट करने वाली एजेंसी है, उसे "नो ट्रस्ट एजेंसी" कहा जाए तो कोई अतिशक्ति नहीं होगी। देश में 15 बड़े स्तर की दाखिलों व भर्ती से संबंधित परीक्षाएं कंडक्ट करने के लिए सरकार द्वारा 2017 में एनटीए नामक एजेंसी का गठन किया गया। राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी ( एनटीए ) को देश के शिक्षा मंत्रालय द्वारा एक स्वायत्त एजेंसी को रूप दिया गया था। इस वर्ष 2024 की नीट प्रवेश परीक्षा में पेपर लीक हुए मामले व नेट‌, एन-सी ए टी तथा सी एस आई आर -नेट जैसी परीक्षाओं का रद्द व स्थगित होना से एनटीए की जो छिछालेदर हुई है, उससे भारत सरकार और भारत के शिक्षा विभाग पर भी कई संगीन सवाल उठने स्वाभाविक हैं। इससे देश के युवाओं का इस प्रकार की एजेंसियों से विश्वास उठ है। इससे देश के 40 लाख युवाओं का भविष्य अंधकार में गया है और इन युवाओं का विश्वास डगमगाया है, जिन बच्चों ने सालों साल लगाकर अपनी मेहनत से परीक्षाओं की तैयारी की थी, एजेंसी ने उनकी मेहनत पर पानी फेर दिया है ।





बच्चों को यह तक नहीं पता कि आगे उनके साथ क्या होगा। युवाओं के लिए यह एक राष्ट्रीय त्रासदी से कम नहीं है। एनटीए द्वारा आयोजित की की जाने वाली ये परीक्षाएं लाखों युवाओं के भविष्य पर कहर बनकर टूटी हैं। पेपर लीक की इन दोनों घटनाओं से जहां एनटीए नामक एजेंसी की सांठ- गांठ और भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ हुआ है ,वही केंद्रीय सरकार और शिक्षा मंत्रालय की जबरदस्त फजीहत हुई है। यह देश को शर्मसार करने वाली घटनाएं हैं। स्कूल कक्षाओं में पढ़ने वाले छात्र भी अपने अभिभावकों से यह कहने लगे हैं कि हमें किसी ऐसे स्कूल या संस्थान में दाखिल करवाना जिनकी एनटीए जैसी एजेंसी से साथ सांठ- गांठ हो ताकि उनका आगे किसी अच्छी संस्था में दाखिला हो सके।






इस प्रकार की परीक्षाओं से युवाओं का विश्वाश उठना देश के लिए बहुत हानिकारक है। एनटीए की इन भारी गलतियों पर केंद्र सरकार व शिक्षा मंत्रालय का भी कुछ कहते नहीं बन पा रहा। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी अपने बयान बदलते रहे हैं। मामला अभी न्यायालय में है। मामले की लीपापोती करने के लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्री व एन ए टी पूरा जोर लगा रहे हैं। शिक्षा मंत्री ने तो यहां तक कहा है कि एनटीए को अपनी कार्य प्रणाली में सुधार करने की जरूरत है ।क्या शिक्षा मंत्री का इस मामले में यही कहना पर्याप्त है। विपक्षी पार्टियां लगातार मांग कर रही है कि मामले की गहराई से जांच हो और एन टी ए के साथ-साथ जो भी राजनीतिज्ञ या अधिकारी इस गड़बड़झाले में शामिल है उनके खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई की जाए और दंड दिलवाया जाए। पेपर लीक मामले में जो भी लोग सम्मिलित हैं , उनके खिलाफ प्रभावी कार्यवाही हो जाती है तो आने वाले समय में सभी एजेंसी, सरकारी व गैर सरकारी संस्थाएं बहुत संजीदगी से काम कर पाएंगे, नहीं तो मामले की लीपा -पोती का यह अभ्यास निरंतर जारी रहेगा।




देश के मेडिकल कॉलेजों वह टेक्निकल संस्थाओं व टॉप कॉलेजों में एनटीए का गठन होने से पहले साल 2018 तक इन परीक्षाओं के आयोजन कराने की जिम्मेदारी केंद्रीय स्कूल शिक्षा बोर्ड और एम्स जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों की थी जिनके सभी अधिकारी और एक-एक कर्मचारी जवाबदेह होते थे। पुरानी व्यवस्था के तहत AIPMT (ऑल इंडिया प्री-मेडिकल टेस्ट): मेडिकल कॉलेजों में MBBS और BDS कोर्सेज में एडमिशन के लिए परीक्षा एम्स द्वारा कंडक्ट की जाती रही है। वहीं कुछ राज्यों की अपनी मेडिकल प्रवेश परीक्षाएं अलग होती थीं, जैसे कि महाराष्ट्र स्वास्थ्य विज्ञान प्रवेश परीक्षा (MHT CET) और कर्नाटक चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (KGMU) परीक्षा कराता था। JEE मेन्स (मुख्य) 2019 तक, JEE मेन (मुख्य), एक ऑल इंडिया इंजीनियरिंग एंट्रेंस एग्जाम (AIEEE) था जो इंजीनियरिंग कॉलेजों में B.Tech., B.E.और B.Arch. कोर्सेज में एडमिशन के लिए एंट्रेंस एग्जाम भी सीबीएसई ही आयोजित करता था।




JEE एडवांस (अग्रिम): JEE मेन में सफल उम्मीदवार IIT JEE एडवांस्ड के लिए पात्र थे उनका IITs, NITs और बाकी टॉप इंजीनियरिंग संस्थानों में एडमिशन होता था । कुछ राज्यों में अपनी इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाएं भी थीं । जैसे कि महाराष्ट्र CET और बिहार प्रौद्योगिकी संस्थान प्रवेश परीक्षा (BCECE) अलग आयोजित होती थी। 2018 में मेडिकल एग्जाम में प्रवेश परीक्षा का नाम एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET) कर दिया गया । दाखिला परीक्षाओं की जिम्मेदारी एनटीए को सौंप दी गई। एनटीए गठन के बाद NEET और JEE परीक्षाओं को राष्ट्रीय स्तर पर एकीकृत करके और उन्हें ऑनलाइन परीक्षाआयोजित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। एनटीए इसमें कितनी सफल हुई है यह तो देश के सामने है। नीट, नेट वह अन्य परीक्षाओं के पेपर लीक मामलों ने पोल खोल कर रख दी है । सीबीएसई एआईआईएमएस व अन्य राज्य शिक्षा बोर्ड से एंट्रेंस परीक्षाओं का कार्य वापस लेना देशवासियों व युवाओं को कितना महंगा पड़ा है। जिस एन टी ए के पास अपना इंफ्रास्ट्रक्चर व मैनेजमेंट भी नहीं है, उसे इस प्रकार की प्रतिष्ठित परीक्षाओं की जिम्मेवारी देना कितना उचित है। यह लाख टके का सवाल है। आज देश में जगह-जगह विपक्षी पार्टियां व युवा प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन युवाओं को कहीं से भी संतुष्टि पूर्ण जवाब नहीं मिल रहा। ये पेपर लीक मामले केंद्रीय सरकार की भी गले की फांस बन गए हैं ।राष्ट्रीय स्तर पर एनडीए की केंद्र सरकार की जबरदस्त फजीहत हुई है जिसकी भरपाई की जानी निकट भविष्य में मुश्किल लगता है।




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