पटौदी विधानसभा सीट पर कहीं लोकसभा चुनाव जैसा ही फिर से खेला ना हो जाए !

पटौदी विधानसभा सीट



बारंबार कहा जाता आ रहा है इतिहास अपने आप को दोहराता है

पटौदी के राजनीतिक मैदान में बहुत कुछ लोकसभा चुनाव जैसे हालात

भाजपा में पार्टी कैडर कार्यकर्ता, कांग्रेस में जमीनी कार्यकर्ता का अभाव

फतह सिंह उजाला

पटौदी ग्राउंड रिपोर्ट । जब तक आप यह समाचार पढ़ रहे होंगे , उसके आठवें दिन मतदान किया जाएगा। समाचार को पढ़ने के बाद चिंतन मंथन भी अवश्य किया जाएगा। मानसून की विदाई और सर्दी के आगमन के बीच चुनाव के मौसम का भी एक अपना अलग ही मिजाज है। इस मिजाज को समझने और जानने के लिए जन-जन के बीच भी जाकर चर्चाएं सुनने के बाद ही किसी हद तक आकलन किए जाते हैं । लोकसभा चुनाव को अभी अधिक समय भी नहीं बीता है। लेकिन पटौदी विधानसभा चुनाव के मैदान में किसी हद तक लोकसभा चुनाव जैसे हालात बने हुए हैं । राजनीति के जानकार, राजनीति के बीज गणित में गहरी रुचि रखने वाले लोगों की बातों पर विश्वास किया जाए तो पटौदी में एक बार फिर से कहीं लोकसभा चुनाव जैसा खेला होने की आशंका बलवती अथवा मजबूत होती हुई बताई जा रही है। इसके साथ यह भी कहा जा रहा है कि इस बात से इनकार नहीं की इतिहास एक बार फिर से अपने आप को दोहरा भी सकता है। इतिहास में अपने आप को लोकसभा चुनाव की तरह दोहराया तो, कांग्रेस की हार की हैट्रिक से भी इनकार नहीं किया जा सकता।

राजनीति के दंगल में बीजेपी को पराजित करने के लिए कांग्रेस पार्टी के द्वारा लोकसभा चुनाव में सबसे अंतिम समय में गुरुग्राम संसदीय क्षेत्र में पांच बार के सांसद अनुभवी कांग्रेस नेता राज बब्बर पर ही भरोसा किया। उनके सामने मुकाबले में मोदी एक और मोदी दो कैबिनेट मंत्री रहे भाजपा के द्वारा तीसरी बार अनुभवी और पुराने चेहरे राव इंद्रजीत को जीत के लिए भेजा गया । लोगों में यह कहावत भी चली आ रही है कि नया 9 दिन और पुराना 100 दिन।। इस कहावत के पीछे भी अनुभवी लोगों का निश्चित रूप से विभिन्न प्रकरण और मामलों में अनुभव समाहित है । लेकिन परिवर्तन होना भी समयचक्र का अभिन्न अंग है । लोकसभा चुनाव परिणाम में आधा हरियाणा जीतने के बाद में कांग्रेस पार्टी ने लक्ष्य बनाया विधानसभा चुनाव में बहुमत प्राप्त कर मजबूत सरकार बनाई जाए। इसी प्रकार के लक्ष्य को लेकर विभिन्न विधानसभा क्षेत्र में उम्मीदवारों को लोगों के बीच भेजा गया।

पटौदी आरक्षित विधानसभा सीट की बात की जाए तो यह 2024 के विधानसभा चुनाव के दंगल के लिए भारतीय जनता पार्टी के द्वारा 2014 में विधायक रही राव इंद्रजीत सिंह की बेहद विश्वसनीय और करीबी श्रीमती विमला चौधरी को उम्मीदवार बनाया गया। कांग्रेस पार्टी के द्वारा मुकाबले में लोकसभा चुनाव में भेजे गए नए उम्मीदवार राज बब्बर की तर्ज पर ही पूर्व विधायक स्वर्गीय भूपेंद्र चौधरी की कांग्रेस नेत्री पुत्री पर्ल चौधरी की उम्मीदवारी और टिकट पर अंतिम समय में फैसला करते हुए चुनावी मैदान में भेजा गया । राजनीति के अनुभवी लोगों के मुताबिक भाजपा के द्वारा जहां पिछले 10 वर्ष से लोगों के बीच और गांव-गांव में संपर्क में रही अनुभवी विमला चौधरी को भेजा गया है । दूसरी तरफ कांग्रेस नेत्री श्रीमती पर्ल चौधरी की व्यक्तिगत पहचान अथवा फेस वैल्यू अधिक नहीं होकर, उनकी पहचान पटौदी के ही पूर्व विधायक स्वर्गीय भूपेंद्र चौधरी की पुत्री के रूप में है या फिर परिचय करवाया जा रहा है। राजनीति में वोट का सपोर्ट अथवा वोट प्राप्त करना, पॉलीटिकल पार्टी के वोट बैंक के अतिरिक्त व्यक्तिगत रूप से भी वोट बैंक का होना निर्णायक भूमिका निभाता आ रहा है। यही कारण है कि विभिन्न लोकसभा क्षेत्र या विधानसभा क्षेत्र में धुरंधर, बड़े और प्रभावशाली पॉलिटिकल उम्मीदवार पर, आजाद अथवा स्वतंत्र उम्मीदवार भारी पढ़ते हुए चुनाव के मैदान में बाजी मार ले जाते हैं।

इस बात से बिल्कुल भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि भाजपा के पास अपना एक पार्टी कैडर पार्टी कार्यकर्ता है। दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी में संगठन के नाम पर नेताओं के व्यक्तिगत समर्थक की संख्या अधिक है। वर्ष 2014 में पटौदी विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 75198 वोट प्राप्त किया। इसके मुकाबले में कांग्रेस को केवल मात्र 15659 वोट पर ही संतोष करना पड़ा। वर्ष 2019 में कांग्रेस 2014 के मुकाबले और एक पायदान नीचे चौथे नंबर पर रहते हुए 18994 वोट ही बेटोर सकी थी। जबकि भाजपा को 60633 वोट वोट प्राप्त हुए। लोकसभा चुनाव की तर्ज पर कांग्रेस पार्टी के द्वारा पटौदी विधानसभा सीट पर भी भाजपा के 10 वर्ष पुराने नेता और पूर्व विधायक के सामने भेजा गया नया चेहरा लोगों के बीच पहचान बनाते हुए कांग्रेस के पारंपरिक वोट बैंक के अतिरिक्त व्यक्तिगत वोट की संख्या बढ़ाने का काम कर रहा है। राजनीति के जानकार और अनुभवी लोगों के साथ-साथ राजनीति में रुचि रखने वालों में जिज्ञासा इसी बात को लेकर है कि कांग्रेस इस बार भाजपा को 2014 में 75198 और 2019 में 60633 वोट की संख्या के आंकड़े को कितने अंतर से पार करने में सफल रहेगी ? जबकि इसी वर्ष लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को 58197 वोट पटौदी में प्राप्त हुए ।

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