ELECTION NEWS-चुनाव के मैदान में में पुरी गरमाहट पैदा नहीं कर पाए बब्बर,गुड़गांव सीट पर मुकाबला कांग्रेस व भाजपा के बीच में ही होगा
गुड़गांव सीट पर मुकाबला कांग्रेस व भाजपा के बीच में ही होगा,राव इंद्रजीत कर रहे हैं मेवात में सेंध लगाने की कोशिश,चुनाव में इस बार मेव और पंजाबी मतदाता बन गए महत्वपूर्ण
न्यूज हैंड ब्यूरो
गुरुग्राम । मतदान में मात्र गिनती दिन का ही समय शेष रह गया है। अगर गुरुग्राम लोकसभा क्षेत्र की बात करें तो यह तो तय हो गया है कि मुकाबला कांग्रेस व भाजपा के बीच में ही होगा। अब लोग जातीय समीकरण का गुणा भाग कर रहे हैं। इस सीट पर लगातार दो बार भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़कर जीत चुके राव इंद्रजीत सिंह को भाजपा ने तीसरी बार मैदान में उतारा है। राव इंद्रजीत सिंह की गिनती दक्षिणी हरियाणा के दिग्गज नेताओं में होती है। इस सीट पर वर्ष 2014 व 2019 के चुनाव भाजपा ने यहां आसानी से जीत हासिल की। कांग्रेस को वर्ष 2014 में 10.2 फीसदी वोट मिला और वह तीसरे पायदान पर रही लेकिन वर्ष 2019 में अहीरवाल के दूसरे दिग्गज नेता कैप्टन अजय सिंह यादव पर दाव लगाने से कांग्रेस को 34.4 फीसदी वोट तो मिले, लेकिन भाजपा का वोट शेयर 12 फ़ीसदी बढ़कर 61.2 फीसदी हो गया इस चुनाव की बात करें तो कांग्रेस ने प्रदेश की सभी 10 सीटों पर नाम तय कर दिए लेकिन गुरुग्राम सीट पर राज बब्बर का नाम सबसे बाद में तय किया गया।
कांग्रेस चाहती थी कि राव इंद्रजीत सिंह जैसे हैवीवेट नेता के आगे एक बड़े चेहरे को चुनाव में उतारा जाए। अभिनेता से नेता बने राज बब्बर को राव इंद्रजीत सिंह के मुकाबले खड़ा कर दिया गया। बबर का नाम तय करते वक्त पंजाबी व मेव मतदाताओं का गणित लगाया गया। पंजाबी सुनार बिरादरी के राज बब्बर की पत्नी नादिरा मुस्लिम है, इसका भी गणित बैठाया गया। राज बब्बर का नाम तय होते ही राव भी पूरी तरह से चौकन्ने हो गए। राव ने मेवात में पूरी तरह से सक्रियता बढ़ा दी है। भाजपा ने मेवात को साधने के लिए पूर्व विधायक जाकिर हुसैन को आगे कर दिया है। वर्ष 2009 के चुनाव में बसपा उम्मीदवार जाकिर हुसैन 25.6 प्रतिशत वोट लेकर दूसरे स्थान पर रहे थे। जाकिर हुसैन का परिवार पुराना राजनीतिक परिवार माना जाता है, उनके पिता तैयब हुसैन गुड़गांव व फरीदाबाद से सांसद रहे। इस परिवार का नुहू व तावडू में काफी प्रभाव है। राजनीतिक पंडित गुरुग्राम, बादशाहपुर,सोहना, पटौदी, रेवाड़ी व बावल विधानसभा को राव के पक्ष में बताया जा रहा है। राज बब्बर को टिकट देरी से मिलने का भी खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।
कांग्रेस में संगठन न होना तथा आपसी गुट बाजी से भी बब्बर को दो-चार होना पड़ रहा है। कई अन्य कारणों के चलते भी राज बब्बर चुनाव में गर्माहट पैदा नहीं कर पा रहे। अगर पंजाबी समुदाय की बात करें तो वह भी भाजपा के साथ खड़ा होता नजर आ रहा है। इतना जरूर है कि राज बब्बर ने कैप्टन अजय सिंह यादव की नाराजगी दूर कर दी। अब देखना होगा कि कप्तान व उनके पुत्र चिरंजीव राव जो लगातार राज बब्बर के लिए पसीना बहा रहे हैं वेयर राज बब्बर को कितनी ऊंचाइयों पर ले जाएंगे यह तो समय ही बताएगा लेकिन इतना जरूर है कि जिस तरह से कहा जा रहा था कि दोनों के बीच कड़ा मुकाबला होगा ऐसा कहीं भी देखने को नहीं मिल रहा।