संविधान कहता है आदिवासी, भाजपा बोले वनवासी, यही है असली लड़ाई : पर्ल चौधरी

संविधान कहता है आदिवासी, भाजपा बोले वनवासी, यही है असली लड़ाई : पर्ल चौधरी

"हूल दिवस केवल ऐतिहासिक तिथि नहीं, यह संथाल आदिवासी अस्मिता

यह चेतना 1855 में संथाल विद्रोह के रूप में फूटी कई ताकतों के खिलाफ सुलग रही

हूल दिवस को ‘वनवासी उत्सव’ के रूप में मनाने पर तथ्यपरक हमला बोला

फतह सिंह उजाला

गुरुग्राम । "हूल दिवस केवल एक ऐतिहासिक तिथि नहीं, यह संथाल आदिवासी अस्मिता की आग है। यह वह चेतना है जो 1855 में संथाल विद्रोह के रूप में फूटी थी और आज भी हर उस ताकत के खिलाफ सुलग रही है। जो जल, जंगल और जमीन के असली मालिकों को उनकी ही ज़मीन पर बेगाना करना चाहती है।” यह प्रतिक्रिया सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट एवं कांग्रेस नेत्री पर्ल चौधरी के द्वारा जाहिर की गई है। उन्होंने दुनिया के सबसे आधुनिक और सुविधा संपन्नता के साथ-साथ हरियाणा सरकार के खजाने में सबसे अधिक राजस्व देने वाले गुरुग्राम में भाजपा और आरएसएस द्वारा हूल दिवस को ‘वनवासी उत्सव’ के रूप में मनाने पर तीखा और तथ्यपरक हमला बोला है।

“वनवासी” शब्द नहीं, राजनीतिक षड्यंत्र

श्रीमती चौधरी ने कहा “भाजपा और आरएसएस द्वारा ‘आदिवासी’ समाज को ‘वनवासी’ कहकर बुलाना कोई मासूम शब्दचयन नहीं। बल्कि एक सुविचारित राजनीतिक षड्यंत्र है। भारत के संविधान में ‘वनवासी’ शब्द का कोई उल्लेख नहीं है। यह शब्द न बाबा साहब अंबेडकर ने स्वीकार किया, न आज़ादी के किसी आदिवासी नायक ने।” ”‘वनवासी’ कहने का अर्थ है, आदिवासियों की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक पहचान को मिटाना। उन्हें केवल ‘जंगल में रहने वाला’ बताना, जबकि सच यह है कि आदिवासी इस धरती के मूल निवासी हैं। उनके पास सिर्फ जंगल नहीं, इस देश की आत्मा है।”

पर्ल चौधरी ने राहुल गांधी की बात दोहराई

पर्ल चौधरी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की बात को दोहराते हुए कहा- कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष “राहुल ने हमेशा यह स्पष्ट किया है, एक तरफ हम लोग हैं जो आपको ‘आदिवासी’ कहकर आपके अधिकारों को पहचानते हैं। और दूसरी तरफ वे हैं जो आपको ‘वनवासी’ कहकर आपकी ज़मीन, संसाधन और सम्मान छीनना चाहते हैं। यही आजाद भारत के इस जोर की मौजूदा समय की असली लड़ाई है।”

“हूल दिवस को भाजपा ने ‘उत्सव’ बना दिया”

सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट पर्ल चौधरी ने कहा“हूल दिवस कोई सांस्कृतिक त्योहार नहीं है। यह सिद्दू -कान्हू, चांद-भैरव, फूलो - झानों और हजारों संथालों के बलिदान की स्मृति है, जिन्होंने महाजनों और अंग्रेजों की शोषणकारी व्यवस्था के खिलाफ विद्रोह किया था। भाजपा आज उसी ऐतिहासिक दिन को ‘वनवासी उत्सव’ बनाकर उसके मूल राजनीतिक संदेश को मिटा रही है।” “संथाल विद्रोह अंग्रेजों के साथ-साथ सामंती और पूंजीवादी शोषण के खिलाफ भी था, और आज भाजपा उन्हीं शक्तियों की राजनीतिक प्रतिनिधि बनकर आदिवासी समाज के संघर्ष को हथियाने का प्रयास कर रही है।”

हमारा संविधान - अस्मिता दोनों बचाने का संकल्प

हरियाणा प्रदेश कांग्रेस एससी सेल की प्रदेश महासचिव कांग्रेस नेत्री श्रीमती चौधरी ने कहा “भाजपा ने हमेशा आदिवासी अधिकारों को कमजोर किया, चाहे वह वन अधिकार कानून हो, जमीन अधिग्रहण कानून, या प्राकृतिक संसाधनों का कॉरपोरेट घरानों को सौंपा जाना हो ।आदिवासी क्षेत्रों में विरोध करने वालों को नक्सली बताकर जेलों में डाला गया। यही है भाजपा का असली चेहरा।”

“आज की लड़ाई हूल विद्रोह की ही अगली कड़ी है, एक तरफ वे हैं जो आपको संविधान में मिले हक और सम्मान के साथ देखना चाहते हैं। दूसरी तरफ वे, जो ‘वनवासी’ कहकर आपके पुरखों की विरासत को भी निगल जाना चाहते हैं।”

संथालों की आजादी की गूंज दबाई नहीं जा सकती

उन्होंने बेहद मजबूत इरादे और शब्दों के साथ कहा “हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि इतिहास को जितना भी तोड़ो, संथालों की गूंज दबाई नहीं जा सकती। हूल दिवस केवल संथाल समाज की लड़ाई नहीं, यह पूरे आदिवासी समाज की चेतना का प्रतीक है, और कांग्रेस पार्टी इस चेतना के साथ मजबूती से खड़ी है।”

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