बलात्कारी को पब्लिक प्लेस पर फांसी की सजा का कानून बने - शंकराचार्य नरेंद्रानंद
फतह सिंह उजाला
गुरुग्राम । रेपिस्ट अथवा बलात्कारी को पब्लिक प्लेस पर ही फांसी की सजा देने का प्रावधान होना चाहिए। केंद्र में मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के द्वारा कानून में संशोधन कर तीन नए कानून लागू किए गए हैं । इसी प्रकार से बलात्कारी अथवा रेपिस्ट को पब्लिक प्लेस पर फांसी देने का कानून बनाया जाए । इतना ही रही बलात्कारियों के अंग भंग किया जाने का भी कानून में प्रावधान होना चाहिए । इसके लिए देश के पीएम नरेंद्र मोदी तथा गृहमंत्री अमित शाह को अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति का परिचय देश और दुनिया को करवाना चाहिए। बंगाल में महिला डॉक्टर से रेप और उसकी हत्या जैसे गंभीर अपराध से व्यथित होते हुए काशी सुमेरु पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य नरेंद्रानंद महाराज के द्वारा यह बात कही गई । यह जानकारी शंकराचार्य के प्रवक्ता के द्वारा मीडिया से साझा करते हुए दी गई है।
शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद महाराज ने कहा है कि जब तक रेपिस्ट अथवा बलात्कारी को सार्वजनिक रूप से फांसी नहीं दी जाएगी, तब तक इस प्रकार की मानसिकता रखने वाले लोगों के द्वारा महिला वर्ग के शीलभंग के अपराध के खिलाफ डर भी नहीं बनेगा। वास्तव में महिला, किशोरी, युवती, बच्ची के साथ में रेप किया जाना और फिर इस अपराध को छिपाने के लिए निर्मम हत्या, निश्चित रूप से दुर्दांत- दुर्लभ अपराध अपराध की श्रेणी में ही माना जाना चाहिए। उन्होंने कहा बलात्कार अथवा रेप किया जाना या फिर इसके विषय में विचार आना यह एक प्रकार से अपराध की मानसिकता ही है। इस प्रकार दूषित हो जा रही मानसिकता को कठोर कानून के अभाव में प्रोत्साहन मिलता दिखाई दे रहा है । उन्होंने कहा केंद्र सरकार और विभिन्न राज्य सरकारों के साथ में समाज को भी इस बात पर गंभीरता से चिंतन और मंथन करना चाहिए । अधिकांश रेप और बलात्कार की वारदात और इन अपराधों से संबंधित हत्याओं के पीछे अधिकांश वर्ग विशेष के लोग ही शामिल क्यों मिलते हैं ? अपराध तो अपराध ही है और अपराध करने वाले अपराधी की एक ही पहचान केवल और केवल अपराधी ही होनी चाहिए। किसी भी धर्म, वर्ग, संप्रदाय की नजरिया से देखना हमारे अपने समाज के लिए ही घातक होता जा रहा है।
शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती महाराज ने कहा बलात्कार और फिर पीड़ित की हत्या किया जाने जैसी वारदात को लेकर राजनीतिक आरोप प्रत्यारोप का खेल अभिलंब बंद कर देना चाहिए। उन्होंने कहा अपराध को अपराधी कहीं भी, किसी भी शहर में, महानगर में, राज्य में, वहां की सरकारों को देखकर नहीं करते। राज्य सरकारों का दायित्व बनता है अपने-अपने राज्य में महिलाओं को 100 प्रतिशत सुरक्षा प्रदान करने के लिए कठोर से कठोर कानून बनाने के लिए पहल आरंभ की जाए। विभिन्न पॉलिटिकल पार्टियों और बड़े-बड़े राजनेता चुनाव के समय बोलते हैं , सरकार बनाने में देश की आधी आबादी महिला वर्ग का महत्वपूर्ण योगदान होता है। इसी प्रकार से देश की आधी आबादी और सरकार में आज ही हिस्सेदारी निभाने वाली महिला वर्ग को भय मुक्त माहौल उपलब्ध करवाने के साथ सुरक्षित वातावरण उपलब्ध करवाना भी सरकारों का सामाजिक न्यायिक और कानूनी दायित्व बनता है।
काशी सुमेरु पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य नरेंद्रानंद महाराज ने महिला अपराधों के संदर्भ में विशेष रूप से कहा शीलभंग , रेप अथवा बलात्कार जैसे मामलों की फास्ट ट्रैक कोर्ट में एक निश्चित समय सीमा में सुनवाई होकर इसका फैसला सुनना चाहिए । कोर्ट के सुनाए गए फैसले को चुनौती दिया जाने का प्रावधान भी नहीं उपलब्ध होना चाहिए । कई बार आजीवन कारावास, फांसी की सजा जैसे फसलों को भी अपराधियों के द्वारा चुनौती दी जाती है । उन्होंने कहा देश भर में सनातनीयो की बहन बेटियों पर भी विशेष वर्ग के लोग अपनी नज़रें लगाए हुए हैं । पहचान छुपा कर लव जिहाद के नाम पर दिमागी, मानसिक और शारीरिक शोषण किया जा रहा है। केंद्र सरकार को रेप, बलात्कार और पीड़ित की हत्या जैसे अपराध को रोकने के लिए एक यूनिफॉर्म कानून बनाने की पहल की तरफ भी चिंतन मंथन करते हुए होमवर्क आरंभ कर देना चाहिए।